"आवेग...दृष्टि... दिशा, इतिहास, सभी तुम हो" (इसी कविता से) "आवेग...दृष्टि... दिशा, इतिहास, सभी तुम हो" (इसी कविता से)
हर ओर पार्थ ही दिखता था, कुरु वंशोंं के समरांगण में। हर ओर पार्थ ही दिखता था, कुरु वंशोंं के समरांगण में।
क्योंकि दृष्टिकोण के लिए, अपने भीतर की दुनिया से, जुड़ना पड़ता है, आंकना पड़ता है क्योंकि दृष्टिकोण के लिए, अपने भीतर की दुनिया से, जुड़ना पड़ता है, आंकना पड़ता ह...
डाॅक्टरी जाँच पर कुछ लोग , गर्भ में कन्या हैं पाते , गर्भपात करवा देते हैं , डाॅक्टरी जाँच पर कुछ लोग , गर्भ में कन्या हैं पाते , गर्भपात करवा देते हैं...
नर-नारी घर में कैद हुए, पड़ी दृष्टि ये कैसी। नर-नारी घर में कैद हुए, पड़ी दृष्टि ये कैसी।
आत्म आवेग के साथ खुद की सांसों को ढोते हुए फिर भी मै हूं मेरे साथ..! आत्म आवेग के साथ खुद की सांसों को ढोते हुए फिर भी मै हूं मेरे साथ..!